महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भारत में लागू एक महत्वपूर्ण रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 5 सितंबर 2005 को शुरू किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को रोजगार की सुरक्षा प्रदान करना है, जिसमें प्रत्येक परिवार के वयस्क सदस्यों को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।
प्रमुख उद्देश्य
- रोजगार की गारंटी: मनरेगा योजना के तहत, ग्रामीण परिवारों को सार्वजनिक कार्यों में अकुशल श्रमिक के रूप में काम करने के लिए 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाता है, जिसमें उन्हें न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है.
- ग्रामीण विकास: योजना का एक अन्य उद्देश्य टिकाऊ संपत्तियों का निर्माण करना है, जैसे कि सड़कों, नहरों, तालाबों और कुओं का निर्माण, जो ग्रामीण विकास में सहायक होते हैं.
कार्यप्रणाली
इस योजना के तहत, ग्रामीण परिवारों को स्थानीय ग्राम पंचायत से जॉब कार्ड जारी किया जाता है। आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है। यदि काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाना चाहिए.लाभ
मनरेगा योजना के कई लाभ हैं:- आजीविका सुरक्षा: यह योजना ग्रामीण परिवारों के लिए आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है।
- महिलाओं की भागीदारी: योजना में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.
- सामाजिक समावेश: यह योजना समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करती है.
चुनौतियाँ
हालांकि, मनरेगा योजना के कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे:- भ्रष्टाचार: स्थानीय सरकारों द्वारा फर्जी जॉब कार्ड बनाने और धन के गबन की समस्याएँ.
- कार्य की गुणवत्ता: कार्यों की गुणवत्ता और मानकीकरण में कमी.
मनरेगा योजना क्या है PDF
मनरेगा योजना, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है। इसे 5 सितंबर 2005 को लागू किया गया था, और इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी प्रदान करना है।मनरेगा का प्राथमिक लक्ष्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार सुनिश्चित करना है, विशेषकर उन परिवारों के लिए जिनके वयस्क सदस्य अकुशल मैनुअल काम करते हैं। यह योजना ग्रामीण विकास गतिविधियों जैसे जल संरक्षण, वनीकरण, और बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है।इस योजना के तहत, ग्रामीण परिवारों को रोजगार प्राप्त करने के लिए स्थानीय ग्राम पंचायत से जॉब कार्ड जारी किया जाता है। आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यह योजना न केवल रोजगार प्रदान करती है, बल्कि यह ग्रामीणों की आय में वृद्धि और सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा देती है।छत्तीसगढ़ राज्य में मनरेगा अंतर्गत 100 दिवस से बढ़ाकर 150 दिवस रोजगार प्रदाय किया जा रहा है। अतिरिक्त 50 दिवस पर होने वाले व्यय का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है
मनरेगा के नियम क्या है?
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के नियम निम्नलिखित हैं:
1. रोजगार की गारंटी
- मनरेगा के तहत, प्रत्येक ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को प्रति वित्तीय वर्ष 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।
- यह रोजगार केवल अकुशल मैनुअल काम के लिए होता है।
2. जॉब कार्ड
- लाभार्थियों को जॉब कार्ड प्रदान किया जाता है, जो उन्हें योजना के तहत रोजगार मांगने का अधिकार देता है।
- जॉब कार्ड धारक को ग्राम पंचायत में रोजगार की मांग के लिए आवेदन करना होता है।
3. न्यूनतम मजदूरी
- काम के लिए न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित होती है।
- वर्तमान में, यह मजदूरी ₹220 प्रति दिन है, लेकिन यह राज्य के अनुसार भिन्न हो सकती है।
4. कार्यस्थल
- रोजगार आवेदक के निवास के 5 किलोमीटर के भीतर प्रदान किया जाना चाहिए।
- यदि 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो बेरोजगारी भत्ता दिया जाना चाहिए।
5. निजी भूमि पर कार्य
- हाल ही में नियमों में बदलाव किया गया है, जिसके अनुसार निजी भूमि पर काम कराने के लिए मालिकाना हक का प्रमाण देना आवश्यक है।
- जमीन मालिक का जॉब कार्डधारी होना या उसके परिवार के किसी जॉब कार्डधारी सदस्य का काम करना भी जरूरी है.
6. पात्रता
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, बीपीएल परिवार, महिला मुखिया वाले परिवार, और शारीरिक विकलांग मुखिया वाले परिवार को प्राथमिकता दी जाती है।
- अन्य पात्रता मानदंडों में भूमि सुधार हितग्राही और वन अधिकार पट्टाधारक शामिल हैं.